Rajasthan: भ्रष्ट कार्मिकों की अभियोजन स्वीकृति रोककर कांग्रेस सरकार ने किया पापः चतुर्वेदी

Rajasthan: भ्रष्ट कार्मिकों की अभियोजन स्वीकृति रोककर कांग्रेस सरकार ने किया पापः चतुर्वेदी

जयपुर। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान संस्थागत भ्रष्टाचार को बढावा दिया है और भ्रष्टाचार पर प्रहार करने वाली एसीबी को कमजोर करने का पाप किया है। सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडे गए 600 से अधिक कार्मिकों पर अभियोजन की स्वीकृति ही नहीं दी। सरकार के इस कदम के कारण भ्रष्टाचार के विरोध में संघर्ष कर रही एसीबी के हौंसले पस्त हुए है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 से लेकर मार्च 2023 तक एसीबी ने राज्य सरकार के पास 2475 प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजे थे जिसमें से सरकार ने सिर्फ 1647 प्रकरणों में ही स्वीकृति दी है। सरकार की ओर से अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू ही नहीं हो पाई। इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य में एसीबी ने अच्छा कार्य किया किन्तु राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने का कार्य ही करती रही है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि कार्मिक विभाग के पास मौजूदा समय में 5 आरएएस समेत बड़े अधिकारियों के 34 मामलों को मिलाकर करीबन 636 मामले अभियोजन की स्वीकृति के लिए लंबित पड़े हैं। वहीं बड़े अधिकारियों के अलावा राजपत्रित समेत अन्य कार्मिकों के करीब ढाई सौ मामले कार्मिक विभाग में लंबित चल रहे हैं। इनमें भी बरसों तक सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं मिली है। इसमें भी सरकार का यह तर्क अप्रासंगिक है कि नैसर्गिक न्याय की प्रक्रिया के तहत संबंधित अधिकारियों को सुनवाई का मौका देते हैं। फिर विभाग से टिप्पणी मांगी जाती है।  
 चतुर्वेदी ने कहा कि गहलोत सरकार एसीबी की ओर से अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजे गए प्रस्तावों को लंबित रखा है। इनमें चिकित्सक, एसीपी, एसडीएम, एईएन, पुलिस अधीक्षक, डीटीओ, डीवाईएसपी,शिक्षा विभाग के डीईओ, प्रिंसिपल, तहसीलदार, एक्सईएन, पुलिस निरीक्षक सहित 636 कार्मिक शामिल है। इन की अभियोजन स्वीकृति नहीं देना गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सवाल खडे कर रही है।
उन्होंने कहा कि एसीबी ने राज्य में पिछले चार वर्षों में 1534 लोक सेवकों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था, इन मामले में कडी कार्रवाई की जानी थी लेकिन कमजोर जांच के कारण 1532 आरोपियों को जमानत मिली चुकी है वहीं एक एक आरोपी की मौत हो गई और एक आरोपी फिलहाल न्यायिक अभिरक्षा में है।

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