Operation Shutter Down: सरकारी सिस्टम में सेंध लगाने वाले अंतर्राज्यीय साइबर गिरोह के नोडल ऑपरेटर सहित 6 गिरफ्तार, 1 करोड़ रुपए फ्रीज
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025
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जयपुर। झालावाड़ पुलिस द्वारा शुरू किया गया ऑपरेशन शटरडाउन एक अंतर्राज्यीय संगठित गिरोह का पर्दाफाश है, जो देश और प्रदेश स्तर तक फैला हुआ था। यह गिरोह केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे पीएम किसान सम्मान निधि, जनआधार पोर्टल, राज एसएसपी (सोशल सिक्योरीटी पेंशन) पोर्टल और आपदा प्रबंधन विभाग के पोर्टल (DMIS) में सेंध लगाकर करोड़ों रुपये की राजकोषीय धोखाधड़ी कर रहा था। इस ऑपरेशन की शुरुआत 22 अक्टूबर को 30 आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ हुई थी, जिसे निरंतर जारी रखते हुए और बड़ी सफलताएँ हासिल की गई हैं।
*ऑपरेशन लगातार:*
एसपी अमित कुमार ने बताया कि अभियान को निरंतर जारी रखते हुए झालावाड़ पुलिस ने अपराधियों से जुड़े लगभग 11,000 संदिग्ध बैंक अकाउंट्स को डेबिट फ्रीज करवाया है, जिनमें अब तक करीब ₹1 करोड़ की राशि होने की पुष्टि हुई है। इस कार्यवाही में दिल्ली, पंजाब, और राजस्थान के जयपुर, भरतपुर, दौसा व जोधपुर से कुल 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए और 2 आरोपी डिटेन किए गए हैं, जिनमें सरकारी सिस्टम में बैठे कर्मचारी शामिल हैं।
*गिरफ्तार-डिटेन आरोपियों की भूमिका और पहचान*
इस मामले में देश के अलग-अलग हिस्सों से कुल 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपियों में किशनपोल बाजार जयपुर निवासी आरोपी मोहम्मद लईक पुत्र मोहम्मद रफीक जयपुर में पीएम किसान सम्मान निधि के स्टेट नोडल ऑफिस का ऑपरेटर है, यह अपनी ऑफिसियल आईडी का दुरुपयोग करके प्राइवेट व्यक्तियों के लिए अनाधिकृत आईडी बनाता था और रात में ओटीपी बायपास कर अपात्र लोगों की लैंड सीडिंग व अकाउंट एक्टिवेशन करता था।
दिल्ली निवासी सुभाष पुत्र रामसॅरन उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के अपात्र व्यक्तियों की लैंड सीडिंग के लिए डेटा उपलब्ध कराता था। भरतपुर का मोहम्मद शाहीद खान पुत्र निजामुद्दीन खान पहले भूमि विकास बैंक में संविदाकर्मी था, लईक के संपर्क में आकर फर्जी एक्टिवेशन और लैंड सीडिंग करवाता था। पंजाब के जालन्धर से गिरफ्तार किए गए रोहित कुमार पुत्र चरणसिंह और संदीप शर्मा पुत्र राधेश्याम क्रमशः पीएम किसान निधि और अन्य योजनाओं की क्लोन वेबसाइटें तैयार करने और डेवलप करने में शामिल थे, जबकि सुनन्त शर्मा पुत्र सुदर्शन शर्मा गिरोह का मुख्य हैंडलर था। वहीं डिटेन किए गए आरोपियों में फलौदी कलेक्ट्रेट में कार्यरत रमेशचंद शामिल है, जिसने लईक के माध्यम से बल्क में रजिस्ट्रेशन एक्टिवेशन करवाया और भागचंद निवासी लोटवाडा, दौसा ने झालावाड़ जिले में सबसे ज़्यादा अपात्र लाभार्थियों को जोड़कर धोखाधड़ी की।
ऑपरेशन शटरडाउन की प्रारंभिक और निरंतर कार्यवाही के दौरान गिरफ्तार अभियुक्तों से और उनके ठिकानों से वृहद स्तर पर सामग्री और डिजिटल डिवाइसेस बरामद की गई हैं। इनमें ₹53 लाख रुपये नकद, एक नोट गिनने की मशीन, हजारों की संख्या में चेक बुक, पास बुक और एटीएम कार्ड शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अपराध में प्रयुक्त डिजिटल डिवाइसेस जिनमें 35 से अधिक लेपटॉप, लगभग 70 मोबाईल और लगभग 11,000 संदिग्ध बैंक अकाउंट डिटेल्स शामिल हैं, बरामद किए गए हैं। साथ ही गिरोह द्वारा उपयोग की जा रही लग्जरी कारें, मोटरसाईकिलें और ट्रेक्टर भी जब्त किए गए हैं। इन डिजिटल उपकरणों में विभिन्न राज्यों के लाखों लाभार्थियों का संदिग्ध डेटा, पीएम किसान पोर्टल के HTML कोड्स, और सरकारी योजनाओं के कार्यकारी अधिकारियों के लॉगिन आईडी व पासवर्ड की सूचियाँ मिली हैं।
*PM किसान निधि और DMIS पोर्टल में सेंधमारी का तरीका*
साइबर अपराधी पहले ग्रामीण क्षेत्रों से उन अपात्र लाभार्थियों का डेटा संकलित करते थे, जिनका रजिस्ट्रेशन लैंड सीडिंग या केवाईसी की कमी से इनएक्टिव हो गया था। यह डेटा मुख्य एजेंट के माध्यम से स्टेट नोडल ऑफिस के ऑपरेटर जैसे मोहम्मद लईक तक पहुँचता था। ऑपरेटर अपनी ऑफिसियल आईडी का उपयोग करके रात्रि के समय अवैध रूप से अतिरिक्त जिला नोडल आईडी बनाता था।
इन अतिरिक्त आईडी से ओटीपी बायपास करते हुए अपात्र व्यक्तियों की अनधिकृत लैंड सीडिंग और अकाउंट्स को एक्टिव किया जाता था। रात को सरकारी खजाने को लूटने के बाद सुबह ऑफिस समय में ऐसी अनाधिकृत लॉगिन आईडी को डीएक्टिवेट कर दिया जाता था।
इसी तरह डीएमआईएस पोर्टल में आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) की कमी का फायदा उठाकर ठगों ने पोर्टल का अनधिकृत एक्सेस प्राप्त किया। उनके पास बाड़मेर जिले के कलेक्टर से लेकर पटवारी स्तर तक की 1500 से अधिक एसएसओ आईडी और ईमेल आईडी मिलीं। इस एक्सेस का उपयोग करके हजारों काश्तकारों की मुआवजा राशि सिस्टम बायपास करते हुए स्वयं के तथा अपात्र लोगों के खातों में ट्रांसफर करवा दी गई।
*जनआधार और सामाजिक सुरक्षा पेंशन में सेंधमारी:* आरोपियों के कब्जे से बरामद डिजिटल डिवाइसेस के विश्लेषण से जनआधार पोर्टल पर जनआधार डेटा को वैधानिक चरणों को बायपास कर स्वयं सत्यापित करने से संबंधित हाईली टारगेटेड साइबर टूल्स उजागर हुए। साथ ही, ई-मित्र प्लस मशीनों के सॉफ्टवेयर कोड्स का अनधिकृत एक्सेस भी मिला। इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं में जारी किए गए हजारों PPO (पेंशन पेमेंट ऑर्डर) मय अकाउंट डिटेल्स भी बरामद हुए। इन डेटा का उपयोग कर हजारों पात्र एवं अपात्र व्यक्तियों की धनराशि मनचाहे अकाउंट्स में डलवाने की संदिग्ध गतिविधि गिरोह द्वारा की जाती थी। अकेले जयपुर, जोधपुर और सीकर जिलों के लगभग 17,000 से अधिक लाभार्थियों का संदिग्ध रिकॉर्ड भी रिकवर हुआ है।
*कार्रवाई में शामिल स्पेशल टास्क फोर्स और सहयोगी टीमें*
इस जटिल और अंतर्राज्यीय साइबर धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई को सफल बनाने के लिए झालावाड़ पुलिस द्वारा एक 06 सदस्यीय स्पेशल टास्क फोर्स (SIT) का गठन किया गया। इस ऑपरेशन में व्यापक समन्वय की आवश्यकता थी, जिसके लिए एसआईटी को एसओजी जयपुर टीम, एसओजी दिल्ली टीम, पंजाब की फिल्लौर और जालंधर सिटी पुलिस टीम, भरतपुर पुलिस टीम, दौसा पुलिस टीम और जिला विशेष टीम जोधपुर पूर्व का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। इस सामूहिक प्रयास से ही अलग-अलग राज्यों में छिपे हुए सरकारी कर्मचारियों और तकनीकी रूप से दक्ष अपराधियों को गिरफ्तार करना संभव हो पाया।
*इनाम घोषित अपराधी*
इस गंभीर अपराध के अनुसंधान में सहायता के लिए झालावाड़ पुलिस अधीक्षक द्वारा ₹25,000-₹25,000 का इनाम पाँच फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए घोषित किया गया था। इनमें से भागचंद पुत्र फुलचंद सैनी निवासी लोटवाडा, दौसा को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनाम घोषित किए गए अन्य चार आरोपी जो फरार हैं, वे हैं कुलदीप ढोली निवासी देवरी खुर्द थाना घाटोली झालावाड़, नरेश सैनी पुत्र छोटे लाल निवासी जयपुरा थाना बांदीकुई, विक्रम सैनी पुत्र प्रहलाद सैनी निवासी लोटवाडा थाना बांदीकुई और राजु पुत्र हीरालाल तंवर निवासी छान का खेडा थाना दांगीपुरा झालावाड़। एसआइटी अब सरकारी गबन से अर्जित अवैध संपत्तियों के चिह्नीकरण और सिस्टम में सेंधमारी की गहराई तक पहुँचने का काम कर रही है।
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