
मंदिर श्री गोविददेवजी में रचना झांकी महोत्सव 8 से 21 मार्च तक
जयपुर। ठिकाना मंदिर श्री गोविददेवजी में 8 से 21 मार्च तक रचना झांकी महोत्सव मनाया जाएगा। दोपहर 12:3० से 12:45 तक तथा शाम को संध्या आरती में श्रद्धालु झांकी के दर्शन कर सकेंगे। रचना झांकी के दौरान दर्शनाथी एक-दूसरे को गुलाल लगाकर, फाल्गुनी धमाल गाकर और फूलों की होली खेलकर इसे परवान चढ़ाएंगे। रचना झांकी उत्सव के दौरान ठाकुर जी को मोतिया बेसन के लड्डू का भोग लगाया जाएगा। मौसम बदलने के कारण अब ठाकुर जी को धूप झांकी में शॉल और शयन झांकी में रजाई धारण नहीं करवाई जाएगी।
गोविद देव जी मंदिर के प्रबंधक एवं प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि रचना झांकी की तैयारियां पूरी हो गई है। रचना झांकी के बाद अन्य कार्यक्रमों के लिए प्रशासन के दिशा-निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। मानस गोस्वामी ने बताया कि रचना झांकी एक विशिष्ट शैली का पारंपरिक उत्सव है जो रंग-बिरंगी गुलाल से ठाकुरजी की लीलाओं को चित्रित करने पर आधारित है। रचना झांकी के दौरान ठाकुर श्री गोविद देव जी, राधा रानी और सखियों को केसरिया सूती कपड़े से तैयार पोशाक धारण कराई जाएगी। इसे मंदिर का पोशाकी यानी दर्जी बनाता है। यह विशेष प्रकार की पोशाक 4 से 5 दिन में तैयार होती है। राजभोग झांकी के बाद से ही रचना श्रृंगार प्रारंभ हो जाएगा। केसरिया पोशाक धारण करा कर उन्हें गुलाल से चित्रित किया जाएगा। यह गुलाल प्राकृतिक रंगों से तैयार होती है, इनमें किसी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं होता है। रचना झांकी का श्रृंगार मंदिर के 5 से 6 सेवक सुबह 8 बजे से ही शुरू कर देते हैं जो कि दोपहर 12 बजे तक पूरा होता है।
गुलाल से चित्रित होगी लीलाएं:
रचना झांकी में भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं को सूती कपड़े पर गुलाल से आकार दिया जाता है। पहले दिन श्री गणेश जी सहित मांगलिक चिन्ह बनाए जाएंगे। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं जैसे वसुदेवजी द्बारा कृष्ण जी को टोकरी में रखकर यमुना पार करना, माखन चोरी लीला, गिरिराज धरण, कालिया नाग के फन पर नृत्य, उखल बंधन, गौरांग महाप्रभु और नित्यानंद महाप्रभु का कीर्तन लीलाएं प्रमुख हैं। इस दौरान महाशिवरात्रि को शिवजी की लीला को रचना झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है और आखिरी दिन महारास की झांकी सजाई जाती है।
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