Rajasthan: खजाना महल में 22 को होगी विशेष पूजा अर्चना, देखिए वीडियो
शनिवार, 20 जनवरी 2024
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जयपुर। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जहां पूरे देश में उत्साह का माहौल है। वहीं जयपुर में भी इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए धार्मिक स्थलों पर विशेष तैयारियां की जा रही है। ऐसे ही आमेर रोड स्थित खजाना महल में रामसेतु से लाए गए अद्भुत तैरते पत्थर आर्कषण का केन्द्र बन रहा है। भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के अनूठे जेम्स एंड ज्वेलरी के म्यूजियम खजाना महल में जहां धरती ही नहीं आकाश से पृथ्वी पर गिरने वाले उल्कापिंड तक के पत्थरों, ज्वेलरी को एक भव्य राजमहल रूपी सेट में पर्यटकों के अवलोकनार्थ रखा गया है वहीं रामसेतु के 7 अद्भुत तैरते पत्थरों को भी एक कुण्ड में स्थापित किया गया है, जो राम नाम के साथ सदैव तैरते रहते हैं।
म्यूजियम के फाउंडर डायरेक्टर अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि ये सारे पत्थर बहुत से लोगों के संकलन का हिस्सा है जो बरसों से सहेज कर रखे गए थे, जिसमें सबसे पुराना लगभग 4 किलो का एक पत्थर मेरे स्वयं के पिता का 33 वर्ष पुराना संग्रह है जो वह अपनी माताजी के साथ जब रामेश्वरम यात्रा पर गए थे तब धनुषकोड़ी से एक पंडित से भेंट के रूप में लेकर आए थे। श्रीवास्तव ने बताया कि कभी-कभी इनमे से जब कोई पत्थर डूब जाता है तब उसे कुंड से निकाल कर पुनः पूरे श्रद्धा भाव से राम नाम की स्तुति के साथ जैसे ही कुण्ड में डालते हैं पत्थर पुनः तैरने लगता है। मेरा भक्ति भाव और भी मजबूत और राममय हो जाता है जब मैं कल्पना करता हूँ कि शायद इन्हीं में से कोई एक वो पत्थर है जिस पर भगवान श्रीराम के पांव पड़े हो और हमारे श्रेष्ठ भाग्य की वज़ह से वह हमारे पास आ गया। खजाना महल संभवत देश का पहला ऐसा म्यूजियम है जहां पर एक साथ 7 रामसेतु पत्थर के दर्शन करने का अनुभव लोगों को होता है।
22 को की जाएगी विशेष पूजा अर्चना
श्रीवास्तव ने बताया कि 22 जनवरी को रामलला की अयोध्या में स्थापना वाले दिन सभी 7 पत्थरों की उपस्थित पर्यटकों तथा पंडितों द्वारा विधिवत रूप से पूजा अर्चना की जाएगी। रामसेतु पत्थर ही नहीं खजाना महल में लगभग 68 वर्ष पूर्व गड़ी गई बेशकीमती माणिक पत्थर से बनी 13650 कैरेट वज़नी राम दरबार की मूर्ति भी उस दिन से विशेष तौर पर पर्यटकों के अवलोकन के लिए रखी जाएगी।
यह भी एक अद्भुत संयोग है कि खजाना महल की जहां स्थापना हुई है उस पवित्र भूमि पर और उसके आस-पास की जगह पर ही कलयुग का प्रथम जोकि राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने सन 1734 में करवाया था तथा पृथ्वी पर दूसरा अश्वमेध यज्ञ हुआ है, जिसकी वेदी, कुण्ड अभी भी साक्षात उस युग, उस महा पूजन की कहानी बयान कर रहे हैं। अश्वमेध यज्ञ भगवान श्रीराम ने भी आयोजन किया था।
खजाना महल में इन रामसेतु पत्थर के अलावा पर्यटकों को दुनिया के लगभग हर तरह के बेशकीमती पत्थर, हीरे, जवाहरात, आभूषण देखने को मिलते हैं।
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