
Mukundra hills: 6 बाघों में से 3 की मौत, 2 लापता, कर्मचारियोें के आधे से ज्यादा पद खाली और सरकार कर रही पर्यटन शुरु करने की तैयारी
प्रदेश के तीसरे टाइगर रिजर्व 'मुकुंदरा हिल्स’ में बाघों का आशियाना बसने से पहले ही उजड़ गया है। यहां अप्रेल 2०18 से अब तक बसे 2 बाघ, 2 बाघिन और 2 शावकों के कुनबे में से 1 बाघ,1 बाघिन और 1 शावक की मौत हो चुकी है,जबकि 1 बाघ व 1 शावक लंबे समय से लापता है। एक बाघिन बची है,उसे फिलहाल एनक्लोजर में रखा हुआ है। यह जानकारी मंगलवार को विधानसभा में वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने दी। विश्नोई ने शून्यकाल में कांग्रेस विधायक भरत सिह कुन्दनपुर द्बारा मुकन्दरा टाईगर रिजर्व को पर्यटकों हेतु नहीं खोले जाने एवं बाघों के लापता होने से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में रखे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर अपने जवाब में बताया कि मुकन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व के कोर एरिया में इको ट्यूरिज्म के लिए मार्ग की व्यवस्था को टाईगर कन्जर्वेशन प्लान में सम्मिलित किया गया है। मुकन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व का टाईगर कन्जर्वेशन प्लान आक्षेपों की पूर्ति कर 12 फरवरी 2०21 को भारत सरकार को अनुमोदनार्थ प्रेषित किया गया है। भारत सरकार से अनुमोदन के बाद पर्यटन के लिए खोला जाएगा।
तीन साल में कैसे बढ़ा कुनबा:
विश्नोई ने बताया कि मुकन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व का नोटिफिकेशन 9 अप्रेल 2०13 को जारी हुआ था। बाघ एमटी-1 को 3 अप्रेल 2०18 को रणथम्भौर टाईगर रिजर्व से ट्रांसलोकेट किया गया। बाघिन एमटी-2 को 19 दिसम्बर 2०18 को रणथम्भौर टाईगर रिजर्व से ट्रांसलोकेट किया गया। बाघिन एमटी-4 को 12 अप्रेल 2०19 को रणथम्भौर टाईगर रिजर्व से ट्रांसलोकेट किया गया था। एक बाघ एमटी-3 स्वयं ही विचरण कर मुकन्दरा टाईगर रिजर्व में आ गया जिसकी जानकारी 9 फरवरी 2०19 को कैमरा टेप में फोटो आने से प्राप्त हुई। इनके अलावा बाघिन एमटी-2 ने वर्ष 2०2० में दो शावकों को जन्म दिया था।
एक साल में ही तीन बाघों की मौत:
विश्नोई ने बताया कि बाघ एमटी-3 की मृत्यु 23 जुलाई 2०2० को हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बाघ की मृत्यु का कारण कार्डियक शॉक रहा है। उन्होंने बताया कि 3 अगस्त 2०2० को बाघिन एमटी-2 मृत पाई गई। मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं इंडियन वेटनरी इंस्टीट्यूट से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार उनके शरीर पर लगे घाव के कारण ट्रॉमेटिक शॉक रहा है। वन राज्य मंत्री ने बताया कि बाघिन एमटी-2 के दो शावकों में से एक शावक को गंभीर रूप से घायल अवस्था में रेस्क्यू किया जाकर वरिष्ठ चिकित्सकों के दल द्बारा उपचार किया गया लेकिन उसको बचाया नहीं जा सका।
लापता बाघों का नहीं मिला कोई सुराग
उन्होंने बताया कि 19 अगस्त 2०2० को कैमरा ट्रेप में बाघ एमटी-1 के साक्ष्य एवं पगमार्क तथा 2० अगस्त 2०2० को दरा रेस्ट हाउस के पीछे मेन गेट से फॉयरलाईन के रास्ते पर ट्रेकिग टीम को आखिरी बार मिले है। इसके बाद इस बाघ के कोई साक्ष्य अभी तक मुकुन्दरा टाईगर रिजर्व में नहीं मिले है। उन्होंने बताया कि बाघ एमटी-1 को ढूंढ़ने के लिए पैदल एवं वाहन गश्त, रोरिग साउण्ड सिस्टम, सर्विलेन्स सिस्टम व ड्रोन पीआईपी. बनवाना, सघन कैमरा ट्रेप आदि से पूर्ण प्रयास किये जाने के बाद भी आज तक कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। मुकुन्दरा में टाईगर के शिकार या फंदे में फसने की कोई घटना प्रकाश में नहीं आई है। वहीं बाघिन एमटी-2 के दूसरे शावक को काफी ढूंढ़ने के प्रयास करने के बाद भी शावक नहीं मिला।
मुकुंदरा में कर्मचारियों के आधे से ज्यादा पद रिक्त:
विश्नोई ने बताया कि मुकन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व में वर्तमान में अधिनस्थ कर्मचारियों के आधे से ज्यादा पद रिक्त है। सुरक्षा के दृष्टिगत उपलब्ध स्टाफ के अतिरिक्त बॉर्डर होमगार्ड के 52 एवं गृह रक्षा बल के 8 जवान नाके/चौकियों पर तैनात है। वनकर्मी एवं अधिकारी अपने पद स्थापित नाका और चौकियों तथा रेंजों में तत्परता से अपने कार्य को अंजाम दे रहे है।
भरतसिंह ने बाघों की सुरक्षा पर लगाया सवालिया निशान:
वन राज्यमंत्री के जवाब पर विधायक भरत सिंह ने कहा कि टाइगर सुरक्षित हैं तो जंगल सुरक्षित है। मैं जानना चाहता हूं कि जब सरिस्का में बाघों का शिकार हुआ था। उसके बाद से टाईगसã की मॉनिटरिंग के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ,देहरादून के साइंटिस्ट सरिस्का में हैं। जब मुकुंदरा में इस प्रकार की घटनाएं हुई तो इन साइंटिस्ट को यहां लाने के प्रयास किए गए। पिछली सरकार के समय मुकुंदरा में वन कर्मियों की जो भर्ती हुई थी,जिनकी बदौलत जंगल सुरक्षित रहता है। ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई थी,कि बड़ी संख्या में उनके तबादले कर दिए गए। उन्होंने कहा कि टाइगर रिजर्व घोषित करना अलग बात है,लेकिन उसके संरक्षण के लिए अनुभवी रेंजर्स व एसीएफ को क्यों नहीं लगाया गया है।
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