Shani Amavasya 2021: 13 मार्च को बन रहा है देवपितृ कार्य और शनैश्वरी अमावस्या का संयोग

Shani Amavasya 2021: 13 मार्च को बन रहा है देवपितृ कार्य और शनैश्वरी अमावस्या का संयोग

पितरों की शांति के लिए भी किया जाता है तर्पण व श्राद्ध




 हिन्दू  धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। इस बार फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च को देवपितृ कार्य और शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। फाल्गुन कृष्ण अमावस्या शनिवार के दिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, साध्य योग, नाग करण व कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या पर चार ग्रहों का योग भी बनेगा। इनमें क्रमश: सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र कुंभ राशि में रहेंगे। अर्थात शनि की राशि में ही चर्तुग्रही युति योग बनेगा। दान धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है। एक वर्ष में आने वाली 12 अमावस्या में शनैश्चरी अमावस्या विशेष महत्व रखती है। अमावस्या पर पितृ दोष, काल सर्प दोष, विष योग, अमावस्या दोष, शनि की ढैया साढ़े साती, शनि की महादशा शांति के लिए विशेष शुभ है। उक्त दोषों की शांति के लिए शनि का अभिषेक करना शुभ है। आमतौर पर देव कार्य और पितृ कार्य के लिए शनिश्चरी अमावस्या अलग-अलग तिथि में पड़ती है,लेकिन इस बार देव कार्य और पितृ कार्य के लिए शनैश्चरी अमावस्या एक ही दिन पड़ रही है। कुण्डली विश्लेषक  व्यास ने बताया कि इसके अलावा पितरों की शांति के लिए तर्पण नांदी श्राद्ध, शनि मंत्र का जप, शनिवार का व्रत एवं शनि की प्रिय वस्तुओं जैसे काला वस्त्र, सरसों का तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, कंबल, छाता आदि का दान करना चाहिए। जिन राशियों पर शनि का प्रकोप है वे भगवान शनिदेव का विधि विधान से पूजन करें। इस दिन पूजन करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना और पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है।  व्यास ने बताया कि शनि का प्रभाव मानव जीवन में अच्छा व बुरा देखने को मिलता है। उच्च का एवं स्वग्राही का शनि राज योग का कारक होता है। नीच का व शत्रु स्थान का शनि मनुष्य का अधोगति को ले जाता है। शनि के अनिष्ट फल में कर्ज़ा एवं दरिद्रता मानव को ग्रसित करती है। जन्म पत्रिका के दशम एवं एकादश भाव का शनि शुभ फल कारक होता है। अन्य भावों में अशुभ फल कारक होता है। इस श्रृष्टि के संचालन में सूर्य, चद्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, राहू, केतु, शनि सहित 9 शक्तियां हैं, जो मानव व प्राणी मात्र को उनके पूर्व कर्मानुसार भाग्य का निर्माण कर उसे अच्छे बुरे कर्मों का फल देते हैं। इसमें 8 न्यायाधीश और एक सर्वोच्च न्यायाधीश है। सर्वोच्च न्यायाधीश पद पर शनि को नियुक्त किया गया है।

अमावस्या पर यह खास 

सबसे पहले यह अमावस्या दर्श अमावस्या की श्रेणी में आ रही है। इस श्रेणी में अमावस्या सुबह से शाम तक अपनी तिथि में अनुसार गोचर करती है, वह दर्श कहलाती है। इस दिन पंचक का नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद विद्यमान रहेगा। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी अजेकपाद हैं तथा ग्रह गणना से स्वामित्व देव गुरु बृहस्पति का है। पूर्वाभाद्रपद उग्र काण लोचन की संज्ञा में आता है। यह नक्षत्र कुंडली में विपरीत ग्रहों की वैदिक शांति कराने पर विशेष लाभ पहुंचाता है। पंचक के नक्षत्रों में से तीसरी श्रेणी में इसका प्रभाव दर्शाया जाता है इसलिए यह त्रिगुणी सकारात्मक लाभकारी बताया गया है।

चतुर्ग्रही  योग का संयोग 

अमावस्या पर चार ग्रहों का योग भी बनेगा। इनमें क्रमश: सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र कुंभ राशि में रहेंगे। अर्थात शनि की राशि में ही चर्तुग्रही युति योग बनेगा। दान धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है।

सूर्य देव को करें प्रसन्न 

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को कुंडली में लग्न और आरोग्यता का कारक माना जाता है। अमावस्या के दिन सूर्य देव की करके बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं। फाल्गुन अमावस्या के दिन सुबह सूर्य चालीसा का पाठ करें। भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप सुबह के समय घी का दीपक जलाकर करें। इस दिन लाल मीठी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

 शनिदेव को प्रसन्न और नौकरी संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए उपाय, हनुमान जी की पूजा


शनि देव को हनुमान जी का परममित्र कहा जाता है। शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

पीपल के पेड़ की पूजा

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष को सबसे फलदायी माना जाता है। कहते हैं कि पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है। शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदोष खत्म होता है।

शमी के वृक्ष की पूजा

कहा जाता है कि शनि देव को शमी का वृक्ष प्रिय है। शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शमी के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से लाभ मिलता है।

काली गाय की पूजा 

 शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करनी चाहिए। गाय को चारा व रोटी खिलाएं। कहते हैं कि ऐसा करने से शनि पीड़ा से छुटकारा मिलता है।

फाल्गुन अमावस्या मुहूर्त

अमावस्या आरम्भ - 12 मार्च 2०21 को दोपहर ०3 : ०4 मिनट से

अमावस्या समाप्त - 13 मार्च 2०21 को दोपहर ०3 : 52 मिनट तक ।

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