Rajasthan: ईओटीटीएस सर्जरी से फ्लैट फुट का ईलाज

Rajasthan: ईओटीटीएस सर्जरी से फ्लैट फुट का ईलाज


जयपुर। राजस्थान अस्पताल के डाक्टरों ने फ्लैट फुट के ईलाज के लिए एक विशेष तकनीक “एक्सट्रा-ओशियस टेलो टार्सल स्टेबिलाइजेशन” - ईओटीटीएस से सर्जरी कर एक मरीज के जीवन में सुधार ला दिया।

राजस्थान अस्पताल के फुट एंड एंकल सर्जन डॉ राहुल उपाध्याय ने 13 साल के एक पुरुष मरीज पर फ्लैट फुट के सुधार के लिए एक्सट्रा-ओशियस टेलो टार्सल स्टेबिलाइजेशन - ईओटीटीएस सर्जरी नामक प्रक्रिया की। इस मरीज को और ऐसे अन्य फ्लैट फुट वाले मरीजों को दौड़ने और खेल जैसी कुछ गतिविधियों में कठिनाई होती है। कभी-कभी, चलते समय भी ये व्यक्ति अपने समकक्षों की तुलना में जल्द ही  थक जाते हैं। ये व्यक्ति सरकारी क्षेत्र में कुछ नौकरियों के लिए पात्र नहीं हैं।

डॉ राहुल उपाध्याय ने सर्जरी का विवरण देते हुए बताया कि प्रक्रिया में अधिक से अधिक 10 - 15 मिनट लगते हैं। पहले की सर्जिकल क्रियाएं एक लंबी प्रक्रिया थी; रिकवरी की अवधि भी लंबी थी और ईओटीटीएस की तुलना में चीर फाड़ भी अधिक थी। इस प्रक्रिया से युवा लड़के और लड़कियां 3 से 5 दिनों के भीतर सामान्य गतिविधियों में लौट आते हैं।

सर्जरी के बारे में अधिक बताते हुए उन्होंने बताया कि ईओटीटीएस एक न्यूनतम इनवेसिव, सॉफ्ट टिशू प्रक्रिया है, जहां कैल्केनस और नेविक्युलर तथा ट्यूलस (ये सभी पैर की हड्डियां हैं) को एक दिशा में करके एक आर्थोपेडिक स्टेंट डाला जाता है। स्टेंट का कार्य टीटीजे को सामान्य बनाए रखना है ताकि पग के जोड़ों के रेन्ज ऑफ़ मोशन में सुधार हो सके। राजस्थान अस्पताल के चेयरमैन डॉ. एस एस अग्रवाल ने बताया कि आरएचएल फुट सेंटर राज्य में एकमात्र समर्पित ऑर्थोपेडिक केन्द्र है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए पैरों को और टखने के भीतर की हड्डी की संरचनाओं को तनाव कम करने और पुन: स्थापन करने की कई प्रक्रियाओं में दक्ष है।

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