
Rajasthan Schools To Reopen: 2 अगस्त से स्कूल खोलने का विरोध, अब 5 मंत्रियों की कमेटी तय करेगी तारीख
जयपुर। राजस्थान में 2 अगस्त से सभी शिक्षण संस्थान व स्कूल खोलने की सरकार की तैयारी पर अभिभावकों की नाराजगी सामने आ रही है। वहीं भाजपा ने भी इसे जल्दबाजी में लिया फैसला बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। हर तरफ हो रहे विरोध के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तिथि और एसओपी के संबंध में निर्णय लेने के लिए पांच मंत्रियों की एक समिति गठित की है।
निजी स्कूल संचालकों के दबाव में लिया फैसला: सराफ
विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि सरकार ने निजी स्कूल संचालकों के दबाव में जल्दबाजी में स्कूल खोलने का अविवेकपूर्ण निर्णय लिया है। इस सम्बन्ध में सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर 2 अगस्त से स्कूल व श्ौक्षणिक संस्थान खोलने के निर्णय को वापस लेने की मांग की है। सराफ ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बच्चों के संक्रमण के मण्डराते खतरे को देखते हुए सरकार को अपना निर्णय वापस लेना चाहिए।
शिक्षक व अभिभावकों के साथ बैठकर निर्णय करते तो बेहतर होता: देवनानी
पूर्व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि शिक्षामंत्री गोविन्द डोटासरा की शिक्षा विभाग में कोई रूचि नहीं है। किसी बात को सोचे समझे बिना ही स्कूल खोलने के आदेश दिए। शिक्षक व अभिभावक संगठनों के साथ बैठकर निर्णय करते तो बेहतर होता, कोरोना की तीसरी लहर आने की सम्भावना सभी बता रहे हैं तो जल्दबाजी करना अनुचित है। पहले 9 से 12 तक की कक्षा शुरू करते 15 दिन उसकी व्यवस्था देखते, सही होता तो दूसरे चरण में 6-8 तथा तृतीय चरण में 1 से 5 तक के स्कूल खोले जाते। यह सरकार का बिना सोचे समझ्ो किया गया निर्णय है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। अगर यदि बीमारी फैली तो शिक्षामंत्री जिम्मेदार होंगे।
अभिभावक असमंजस में,बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं: गुप्ता
किशनपोल विधानसभा के पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा तय किए बिना स्कूलों को खोलना सरासर गलत है। सरकार को बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधी खिलवाड की इस प्रक्रिया को पूरा करने से पहले यह भी देखना चाहिए की कोरोना की तीसरी लहर जिसके लिए डब्ल्यूएचओ द्बारा बार बार बताया जा रहा है कि यह तीसरी लहर सर्वाधिक बच्चों के लिए बडा खतरा है ऐसे में अभिभावकों की मनोदशा को समझे बिना ही निजी स्कूलों को खोलने का निर्णय सरकार की लापरवाही का द्योतक है जिसपर सरकार ने बच्चों की जान को लगा रखा है। सरकार के इस निर्णय से बच्चों के अभिभावक असमंजस में है कि बच्चों को स्कूल भेजे या ना भेजे। स्कूल प्रशासन या बच्चे दोनों स्कूलों में कोरोना गाईडलाईन की पालना कर पाएंगे या नहीं।
फैसला अभिभावकों को मंजूर नहीं, जब तक वैक्सीन नहीं तब तक स्कूल नहीं: मनीष विजयवर्गीय
स्कूल खोले जाने के निर्णय का विरोध प्रदेश के अभिभावकों की ओर से ट्विटर, फ़ेसबुक, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया के माध्यम से खुल कर सामने आया है। अभिभावक एकता संघ की हेल्पलाइन 93०9333662 पर प्रदेश के हजारों अभिभावकों ने इस निर्णय के विरोध में संदेश जारी कर अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की जानकारी दी है। अभिभावक एकता संघ राजस्थान के संयोजक मनीष विजयवर्गीय ने कहा कि प्राइवेट स्कूल बन्द होने से स्कूल मालिक फीस नही वसूल कर पा रहे थे, कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना के बीच सरकार ने निजी स्कूल मालिकों के दबाव एवं प्रभाव में स्कूल खोलने का निर्णय लिया है ताकि स्कूल प्रशासन फीस कलेक्शन तीसरे लॉकडॉउन से पहले कर सके। स्कूल खोलने का फैसला बच्चों की पढ़ाई के हक में नही अपितु निजी स्कूल मालिकों के हक में लिया गया है अत: यह फैसला हम अभिभावकों को मंजूर नहीं, हम सरकार ने मांग करते है कि जब तक वैक्सीन नहीं तब तक स्कूल नही खोले जाए। इस निर्णय को वापस नहीं लिया तो प्रदेश के लाखों अभिभावक इस निर्णय का हर स्तर पर विरोध करेंगे।
शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख और एसओपी पर निर्णय करेगी समिति:
उधर सरकार की ओर से गठित इस समिति में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, शिक्षा राज्यमंत्री गोविद सिह डोटासरा, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिह भाटी तथा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग शामिल होंगे। यह समिति शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख एवं इसके लिए विस्तृत एसओपी तैयार करने पर निर्णय करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत शिक्षण संस्थाओं को खोलने की एसओपी के संबंध में गहन विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जाना चाहिए। इसके लिए मंत्रियों की समिति भारत सरकार के स्वास्थ्य तथा मानव संसाधन मंत्रालयों, आईसीएमआर एवं अन्य राज्य जहां शैक्षणिक संस्थान प्रारम्भ किए गए हैं, उनके साथ संपर्क कर उनके अनुभव और फीडबैक पर चर्चा करेगी। साथ ही, भारत सरकार द्बारा जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी लेकर शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख एवं एसओपी के संबंध में निर्णय करेगी। बैठक में चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजाबाबू पंवार, डॉ. सुधीर भंडारी, डॉ. वीरेन्द्र सिह, डॉ. एमएल गुप्ता, डॉ. अमरजीत मेहता, डॉ. प्रवीण माथुर एवं डॉ. मनीष ने देश तथा दुनिया में कोविड संक्रमण की स्थिति, बच्चों पर इसके प्रभाव तथा आने वाले दिनों में संक्रमण की आशंका पर विस्तृत जानकारी दी। सभी विशेषज्ञों की राय थी कि शिक्षण संस्थानों में सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ, बच्चों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के ड्राइवर तथा संपर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, कोविड प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित की जा सके, इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की जाए।
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